UPESSC Assistant Professor: प्रदेश के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग 1200 पद रिक्त हैं, लेकिन छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने के लिए 400 पदों की कटौती की संभावना जताई जा रही है। उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा रिक्त पदों का अधियाचन (रिक्विजिशन) तैयार किया जा रहा है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा।
UPESSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2025 Overview
विषय | विवरण |
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भर्ती प्रक्रिया | उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती |
रिक्त पदों की संख्या | लगभग 1200 पद |
संभावित कटौती | 400 पदों की कटौती (छात्र-शिक्षक अनुपात के कारण) |
संभावित अधियाचन पद | 800 पदों के लिए अधियाचन भेजने की तैयारी |
जिम्मेदार संस्थान | उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग |
मुख्य बाधा | अधियाचन का प्रारूप तय न होने से भर्ती में देरी |
भर्ती प्रक्रिया की स्थिति | रिक्त पदों की गिनती पूरी, अधियाचन प्रक्रिया लंबित |
आगामी कदम | अधियाचन प्रारूप तय होते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी |
प्रभावित अभ्यर्थी | वे उम्मीदवार जो असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं |
रिक्त पदों की गिनती पूरी फिर भर्ती में देरी क्यों?
हाल ही में शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय ने शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर एडेड महाविद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों और परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्योरा मांगा था। इसके बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने राज्य के 331 अशासकीय महाविद्यालयों में रिक्तियों की समीक्षा शुरू की।
निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, कई महाविद्यालयों में छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात प्रभावित हो रहा है। इसी वजह से, 1200 में से लगभग 400 पदों को कम कर 800 पदों का अधियाचन भेजने की योजना बनाई जा रही है।
भर्ती में देरी का मुख्य कारण अधियाचन प्रारूप का अभाव
हालांकि, रिक्त पदों की गिनती पूरी हो चुकी है, लेकिन अधियाचन का प्रारूप तय न होने के कारण भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है। शिक्षा सेवा चयन आयोग ने उच्च शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है कि ई-अधियाचन शासन के पोर्टल पर भेजें, जिससे यह आयोग तक पहुँच सके।
हालांकि, उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि पहले अधियाचन सीधे उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग को भेजा जाता था, जबकि शासन को केवल राजकीय महाविद्यालयों की भर्तियों के लिए अधियाचन भेजा जाता था। अब, आयोग से नए प्रारूप की मांग की गई है, ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। प्रारूप तय होने में हो रही देरी के कारण भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है।
क्या होगी अगली प्रक्रिया?
यदि अधियाचन प्रारूप जल्द ही तय कर लिया जाता है, तो उत्तर प्रदेश में 800 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। यह उन अभ्यर्थियों के लिए राहत की खबर हो सकती है, जो लंबे समय से इस भर्ती का इंतजार कर रहे हैं।
प्रदेश के एडेड महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती की राह फिलहाल अधियाचन के प्रारूप पर निर्भर है। यदि जल्द ही इस तकनीकी अड़चन को दूर कर लिया जाता है, तो हजारों शिक्षण अभ्यर्थियों को नौकरी का अवसर मिल सकता है। अब यह देखना होगा कि शासन और आयोग की प्रक्रिया कितनी तेजी से आगे बढ़ती है।
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